200+ Best Wealth creation Quotes in Hindi

  1. संपत्ति वो धूप है जो चमके,पर छांव न दे सके कभी।जो मन की शीतलता रखे,वही सच्चा धनी कहलाए अभी।


  2. धन-संपत्ति आभूषण नहीं है,ये जीवन का बोझ भी बन जाए।जो इसे हल्का कर ले जाए,वही सुख का रास्ता पाए।


  3. संपत्ति की राहें चिकनी लगें,पर कांटों से भरी हों ये।जो हिम्मत से कदम बढ़ाए,वही धन का मोल समझाए।


  4. धन वो नदी है जो बहती जाए,किनारे को छू न पाए।जो इसे दिशा दे सके,वही संपत्ति का सुख पाए।


  5. संपत्ति की चमक आंखें भरे,पर दिल को खाली छोड़ जाए।जो इसे बांट कर जीए,वही सच्ची दौलत कमाए।


  6. धन-संपत्ति वो चंदन है,जो सुगंध दे पर ठंडक न दे।जो मन को शांत रखे,वही इसका असली मोल ले।


  7. संपत्ति वो पंख है जो उड़ाए,पर जमीन से दूर न ले जाए।जो संतुलन बनाए रखे,वही धन का राजा कहलाए।


  8. धन की माया जाल बिछाए,हर कदम पर फंदा लगाए।जो इसमें न फंसे कभी,वही सुख का गीत गाए।


  9. संपत्ति वो फूल है जो खिले,पर कांटों के बीच बसे।जो इनसे बच कर चले,वही धन का सुख हंसे।


  10. धन-संपत्ति वो तारा है,जो दूर से चमकता जाए।जो पास आकर देख सके,वही इसका सच समझाए।


  11. संपत्ति की चाहत आग बन जाए,जो सब कुछ जलाकर राख करे।जो इसे ठंडा रख सके,वही जीवन को सुखमय करे।


  12. धन वो साया है जो साथ चले,पर मुसीबत में छोड़ जाए।जो इसके बिना जी सके,वही सच्ची संपत्ति पाए।


  13. संपत्ति की तिजोरी भरे मन,पर आत्मा को खाली न करे।जो भीतर का धन जोड़े,वही सुख का रंग भरे।


  14. धन-संपत्ति वो घोड़ा है,जो बेकाबू हो तो गिराए।जो लगाम से चलाए इसे,वही मंजिल तक ले जाए।


  15. संपत्ति की चादर छोटी हो,तो नींद भी दूर भाग जाए।जो थोड़े में संतोष करे,वही चैन से सो जाए।


  16. धन वो बारिश है जो बरसे,पर सूखा भी साथ लाए।जो इसे संभाल कर रखे,वही हर मौसम सजाए।


  17. संपत्ति की चमक माया है,जो आंखों को धोखा दे जाए।जो हकीकत को देख सके,वही सच्चा धन पाए।


  18. धन-संपत्ति वो औजार है,जो काम करे पर मालिक न बने।जो इसे गुलाम रख सके,वही सुख का ठिकाना ले।


  19. संपत्ति की राह पर चलते जाओ,पर मन को भटकने न दो।ये साधन है, साध्य नहीं,इसे मंजिल मत बना दो।


  20. धन वो शहद है जो मीठा लगे,पर ज्यादा चखो तो नुकसान करे।जो संयम से इसका स्वाद ले,वही जीवन को सवारे।


  21. संपत्ति की गिनती मत करो,ये आएगी, जाएगी।जो आज है उसे बांट दो,सच्ची दौलत वही लाएगी।


  22. धन-संपत्ति वो आग है,जो गर्मी दे पर जलाए भी।दूरी बनाकर रखो इसे,तभी ये काम आएगी।


  23. संपत्ति की लालसा मन भटकाए,हर कदम पर सवाल उठाए।जो इससे मुक्त हो जाए,वही सुख का रास्ता पाए।


  24. धन वो चांदनी है जो रात सजाए,पर सूरज निकले तो ढल जाए।जो दिन-रात का खेल समझे,वही संपत्ति का मोल पाए।


  25. संपत्ति की ताकत पहाड़ सी लगे,पर हवा से हिल भी जाए।जो इसके नीचे न दबे,वही सच्चा सुख पाए।


  26. धन-संपत्ति वो सपना है,जो सुबह टूटकर बिखर जाए।जो हकीकत में जीना सीखे,वही सच्ची दौलत कमाए।


  27. संपत्ति की चमक चांद सी हो,रात को रोशन कर जाए।पर जो दिन का उजाला देखे,वही इसका सच समझाए।


  28. धन वो प्यास है जो बढ़ती जाए,जितना पीओ, उतनी लगे।जो इसे कम कर ले मन से,वही सुख की राह चले।


  29. संपत्ति वो नाव है जो ले जाए,पर किनारा न दिखाए।जो खुद की राह बनाए,वही मंजिल तक पहुंचाए।


  30. धन-संपत्ति वो माला है,गले में डालो पर बोझ न बनाए।जो आजाद मन से जीए,वही सुख को पहचान आए।


  31. संपत्ति की चादर चमकीली हो,पर ठंड न रोक सके।जो अपने मन को गर्म रखे,वही सुख का दामन पकड़े।


  32. धन वो रंग है जो चढ़े,पर पानी से धुल जाए।जो मन का रंग न खोए,वही जिंदगी सजाए।


  33. संपत्ति की राह पर कांटे बिछे,हर कदम सोचकर रखना।जो बिना घायल आगे बढ़े,वही सुख को गले लगाना।


  34. धन-संपत्ति वो खिलौना है,जो भाए पर टूट भी जाए।जो इसे खेल समझ ले,वही जिंदगी जी ले अभी।


  35. संपत्ति की लहरें ऊंची उठें,पर डूब न जाना इनमें।जो तैरना सीख ले जाए,वही बचेगा इनसे।


  36. धन वो पहेली है जो उलझाए,हर जवाब नया सवाल लाए।जो इसे सुलझा न चाहे,वही सुख का रास्ता पाए।


  37. संपत्ति की चादर छोटी हो जाए,तो सपने न बिखरने दो।जो थोड़े में जीना सीखे,उसे कभी न झुकने दो।


  38. धन-संपत्ति वो दर्पण है,जो हर चेहरा दिखाए।पर जो भीतर देख सके,वही इसकी सच्चाई पाए।


  39. संपत्ति वो फल है जो मीठा लगे,पर बीज कड़वा छुपाए।जो इसका स्वाद समझ ले,वही सुख को गले लगाए।


  40. धन की दुनिया रंगीन लगे,पर रंग ये फीके पड़ते हैं।जो मन का रंग भर ले,वही सुख से निखरते हैं।


  41. संपत्ति वो पंछी है जो उड़े,पर पिंजरे में कैद हो जाए।जो इसे आजाद कर दे,वही सच्चा सुख पाए।


  42. धन-संपत्ति वो मित्र है,जो बुलाए पर वफा न करे।जो इसकी संगत छोड़ दे,वही सच्ची राह धरे।


  43. संपत्ति की गति हवा सी तेज,पकड़ो तो फिसल जाए।जो इसे छूने न दौड़े,वही चैन से सो जाए।


  44. धन वो बीज है जो बोया जाए,फसल अच्छी हो तो सुख लाए।पर खेत बंजर हो अगर,तो ये कुछ न बचाए।


  45. संपत्ति की ताकत को मत झुठलाना,ये दुनिया को नचा सकती है।पर जो इसके पीछे न नाचे,वही सुख को पा सकती है।


  46. धन-संपत्ति वो सिक्का है,जो चले पर हर जगह न माने।जो दिल से दिल जोड़े,वही सच्ची दौलत पाए।


  47. संपत्ति की मिठास में जहर छुपा,ज्यादा लालच न करो कभी।जो थोड़े में खुश रहे,उसकी जिंदगी सलामती।


  48. धन वो तारा है जो चमके दूर,पास आओ तो हाथ न आए।जो इसकी चमक में न भटके,वही सच्चा सुख पाए।


  49. संपत्ति की राह आसान नहीं,हर कदम पर इम्तिहान है।जो हिम्मत से आगे बढ़े,उसे ही ये सम्मान है।


  50. धन-संपत्ति वो गीत है,जो सब गाएं पर सुर न मिले।जो इसे ताल में बांध ले,वही जिंदगी सजाए चले।


  51. संपत्ति वो धूप है जो चमके,पर छांव न दे सके कभी।जो मन की शीतलता रखे,वही सच्चा धनी कहलाए अभी।


  52. धन-संपत्ति आभूषण नहीं है,ये जीवन का बोझ भी बन जाए।जो इसे हल्का कर ले जाए,वही सुख का रास्ता पाए।


  53. संपत्ति की राहें चिकनी लगें,पर कांटों से भरी हों ये।जो हिम्मत से कदम बढ़ाए,वही धन का मोल समझाए।


  54. धन वो नदी है जो बहती जाए,किनारे को छू न पाए।जो इसे दिशा दे सके,वही संपत्ति का सुख पाए।


  55. संपत्ति की चमक आंखें भरे,पर दिल को खाली छोड़ जाए।जो इसे बांट कर जीए,वही सच्ची दौलत कमाए।


  56. धन-संपत्ति वो चंदन है,जो सुगंध दे पर ठंडक न दे।जो मन को शांत रखे,वही इसका असली मोल ले।


  57. संपत्ति वो पंख है जो उड़ाए,पर जमीन से दूर न ले जाए।जो संतुलन बनाए रखे,वही धन का राजा कहलाए।


  58. धन की माया जाल बिछाए,हर कदम पर फंदा लगाए।जो इसमें न फंसे कभी,वही सुख का गीत गाए।


  59. संपत्ति वो फूल है जो खिले,पर कांटों के बीच बसे।जो इनसे बच कर चले,वही धन का सुख हंसे।


  60. धन-संपत्ति वो तारा है,जो दूर से चमकता जाए।जो पास आकर देख सके,वही इसका सच समझाए।


  61. संपत्ति की चाहत आग बन जाए,जो सब कुछ जलाकर राख करे।जो इसे ठंडा रख सके,वही जीवन को सुखमय करे।


  62. धन वो साया है जो साथ चले,पर मुसीबत में छोड़ जाए।जो इसके बिना जी सके,वही सच्ची संपत्ति पाए।


  63. संपत्ति की तिजोरी भरे मन,पर आत्मा को खाली न करे।जो भीतर का धन जोड़े,वही सुख का रंग भरे।


  64. धन-संपत्ति वो घोड़ा है,जो बेकाबू हो तो गिराए।जो लगाम से चलाए इसे,वही मंजिल तक ले जाए।


  65. संपत्ति की चादर छोटी हो,तो नींद भी दूर भाग जाए।जो थोड़े में संतोष करे,वही चैन से सो जाए।


  66. धन वो बारिश है जो बरसे,पर सूखा भी साथ लाए।जो इसे संभाल कर रखे,वही हर मौसम सजाए।


  67. संपत्ति की चमक माया है,जो आंखों को धोखा दे जाए।जो हकीकत को देख सके,वही सच्चा धन पाए।


  68. धन-संपत्ति वो औजार है,जो काम करे पर मालिक न बने।जो इसे गुलाम रख सके,वही सुख का ठिकाना ले।


  69. संपत्ति की राह पर चलते जाओ,पर मन को भटकने न दो।ये साधन है, साध्य नहीं,इसे मंजिल मत बना दो।


  70. धन वो शहद है जो मीठा लगे,पर ज्यादा चखो तो नुकसान करे।जो संयम से इसका स्वाद ले,वही जीवन को सवारे।


  71. संपत्ति की गिनती मत करो,ये आएगी, जाएगी।जो आज है उसे बांट दो,सच्ची दौलत वही लाएगी।


  72. धन-संपत्ति वो आग है,जो गर्मी दे पर जलाए भी।दूरी बनाकर रखो इसे,तभी ये काम आएगी।


  73. संपत्ति की लालसा मन भटकाए,हर कदम पर सवाल उठाए।जो इससे मुक्त हो जाए,वही सुख का रास्ता पाए।


  74. धन वो चांदनी है जो रात सजाए,पर सूरज निकले तो ढल जाए।जो दिन-रात का खेल समझे,वही संपत्ति का मोल पाए।


  75. संपत्ति की ताकत पहाड़ सी लगे,पर हवा से हिल भी जाए।जो इसके नीचे न दबे,वही सच्चा सुख पाए।


  76. धन-संपत्ति वो सपना है,जो सुबह टूटकर बिखर जाए।जो हकीकत में जीना सीखे,वही सच्ची दौलत कमाए।


  77. संपत्ति की चमक चांद सी हो,रात को रोशन कर जाए।पर जो दिन का उजाला देखे,वही इसका सच समझाए।


  78. धन वो प्यास है जो बढ़ती जाए,जितना पीओ, उतनी लगे।जो इसे कम कर ले मन से,वही सुख की राह चले।


  79. संपत्ति वो नाव है जो ले जाए,पर किनारा न दिखाए।जो खुद की राह बनाए,वही मंजिल तक पहुंचाए।


  80. धन-संपत्ति वो माला है,गले में डालो पर बोझ न बनाए।जो आजाद मन से जीए,वही सुख को पहचान आए।


  81. संपत्ति की चादर चमकीली हो,पर ठंड न रोक सके।जो अपने मन को गर्म रखे,वही सुख का दामन पकड़े।


  82. धन वो रंग है जो चढ़े,पर पानी से धुल जाए।जो मन का रंग न खोए,वही जिंदगी सजाए।


  83. संपत्ति की राह पर कांटे बिछे,हर कदम सोचकर रखना।जो बिना घायल आगे बढ़े,वही सुख को गले लगाना।


  84. धन-संपत्ति वो खिलौना है,जो भाए पर टूट भी जाए।जो इसे खेल समझ ले,वही जिंदगी जी ले अभी।


  85. संपत्ति की लहरें ऊंची उठें,पर डूब न जाना इनमें।जो तैरना सीख ले जाए,वही बचेगा इनसे।


  86. धन वो पहेली है जो उलझाए,हर जवाब नया सवाल लाए।जो इसे सुलझा न चाहे,वही सुख का रास्ता पाए।


  87. संपत्ति की चादर छोटी हो जाए,तो सपने न बिखरने दो।जो थोड़े में जीना सीखे,उसे कभी न झुकने दो।


  88. धन-संपत्ति वो दर्पण है,जो हर चेहरा दिखाए।पर जो भीतर देख सके,वही इसकी सच्चाई पाए।


  89. संपत्ति वो फल है जो मीठा लगे,पर बीज कड़वा छुपाए।जो इसका स्वाद समझ ले,वही सुख को गले लगाए।


  90. धन की दुनिया रंगीन लगे,पर रंग ये फीके पड़ते हैं।जो मन का रंग भर ले,वही सुख से निखरते हैं।


  91. संपत्ति वो पंछी है जो उड़े,पर पिंजरे में कैद हो जाए।जो इसे आजाद कर दे,वही सच्चा सुख पाए।


  92. धन-संपत्ति वो मित्र है,जो बुलाए पर वफा न करे।जो इसकी संगत छोड़ दे,वही सच्ची राह धरे।


  93. संपत्ति की गति हवा सी तेज,पकड़ो तो फिसल जाए।जो इसे छूने न दौड़े,वही चैन से सो जाए।


  94. धन वो बीज है जो बोया जाए,फसल अच्छी हो तो सुख लाए।पर खेत बंजर हो अगर,तो ये कुछ न बचाए।


  95. संपत्ति की ताकत को मत झुठलाना,ये दुनिया को नचा सकती है।पर जो इसके पीछे न नाचे,वही सुख को पा सकती है।


  96. धन-संपत्ति वो सिक्का है,जो चले पर हर जगह न माने।जो दिल से दिल जोड़े,वही सच्ची दौलत पाए।


  97. संपत्ति की मिठास में जहर छुपा,ज्यादा लालच न करो कभी।जो थोड़े में खुश रहे,उसकी जिंदगी सलामती।


  98. धन वो तारा है जो चमके दूर,पास आओ तो हाथ न आए।जो इसकी चमक में न भटके,वही सच्चा सुख पाए।


  99. संपत्ति की राह आसान नहीं,हर कदम पर इम्तिहान है।जो हिम्मत से आगे बढ़े,उसे ही ये सम्मान है।


  100. धन-संपत्ति वो गीत है,जो सब गाएं पर सुर न मिले।जो इसे ताल में बांध ले,वही जिंदगी सजाए चले।


  101. संपत्ति वो नृत्य है जो नचाए,पर ताल से भटका भी जाए।जो अपने सुर में ढल सके,वही सुख का मोल पाए।


  102. धन की चमक तलवार सी हो,चमके पर काट भी जाए।जो इसे म्यान में रख सके,वही सच्चा सुख लाए।


  103. संपत्ति वो सेतु है जो जोड़े,पर टूटने का डर रहे।जो मजबूत नींव बनाए,वही धन का सुख पाए।


  104. धन-संपत्ति वो सपना है,जो रात सजाए, दिन मिटाए।जो सच में जीना सीखे,वही सच्ची दौलत पाए।


  105. संपत्ति की राह पर कोहरा हो,हर कदम धुंधला जाए।जो रोशनी साथ ले चले,वही सुख का मोल पाए।


  106. धन वो चंदन है जो महके,पर आग से जल भी जाए।जो इसे ठंडा रख सके,वही सुख का रंग लाए।


  107. संपत्ति की लालसा सागर हो,जो मन को डुबो भी जाए।जो किनारे पर चल सके,वही सच्चा सुख पाए।


  108. धन-संपत्ति वो रथ है,जो दौड़े पर रुक न पाए।जो लगाम को थाम सके,वही मंजिल तक जाए।


  109. संपत्ति वो फूल है जो सुगंध दे,पर मुरझाने का डर रहे।जो खुशबू को संभाल ले,वही धन का सुख भरे।


  110. धन की ताकत शेर सी हो,दहाड़े पर काबू न आए।जो इसे पालतू बनाए,वही सुख का रास्ता पाए।


  111. संपत्ति वो पंख है जो ऊंचा ले,पर हवा से गिर भी जाए।जो संतुलन बनाए रखे,वही सच्ची दौलत पाए।


  112. धन-संपत्ति वो माला है,जो सजे पर गले न भाए।जो इसे हल्का पहन सके,वही सुख का मोल लाए।


  113. संपत्ति की चमक मृगतृष्णा हो,पास जाओ तो गायब हो।जो सच को थाम कर चले,वही धन का सुख लो।


  114. धन वो नदी है जो उफनाए,पर किनारा न दिखाए।जो तैरना सीख ले जाए,वही सुख का मोल पाए।


  115. संपत्ति की राहें टेढ़ी हों,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।


  116. धन-संपत्ति वो आलम है,जो चमके पर ढल भी जाए।जो हर मौसम समझ सके,वही सच्चा सुख पाए।


  117. संपत्ति वो सिक्का है जो खनके,पर हर जगह न चले।जो दिल से दिल जोड़े,वही सच्ची दौलत ले।


  118. धन की चादर मुलायम लगे,पर नींद न ला सके।जो मन को शांत रखे,वही सुख को गले लगे।


  119. संपत्ति वो बारिश है जो भिगोए,पर प्यास न बुझाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का रंग सजाए।


  120. धन-संपत्ति वो पहेली है,जो सुलझे तो उलझन लाए।जो इसे छोड़ कर चले,वही सुख का मोल पाए।


  121. संपत्ति की ताकत बादल सी,गरजे पर बरसे न कभी।जो इंतजार न करे उसका,वही सच्चा सुख धरे।


  122. धन वो फल है जो लुभाए,पर कच्चा हो तो न भाए।जो पकने का इंतजार करे,वही सुख का स्वाद लाए।


  123. संपत्ति की राह पर कांटे हों,हर कदम पर चुभन दे।जो हौसले से चल सके,वही धन का सुख ले।


  124. धन-संपत्ति वो चांद है,जो चमके पर ठंडक न दे।जो सूरज का मोल समझे,वही सच्ची दौलत ले।


  125. संपत्ति वो पंछी है जो उड़े,पर पिंजरे में फंसे भी।जो इसे आजाद कर दे,वही सुख का मोल ले।


  126. धन की चमक रंगीन लगे,पर फीकी पड़ भी जाए।जो मन का रंग न खोए,वही सच्चा सुख पाए।


  127. संपत्ति वो दीवार है जो खड़ी हो,पर ढहने का डर रहे।जो नींव को मजबूत करे,वही धन का सुख भरे।


  128. धन-संपत्ति वो माया है,जो पास आए दूर जाए।जो सच को साथ रखे,वही सुख का मोल लाए।


  129. संपत्ति की लालसा आंधी हो,जो सब उड़ा ले जाए।जो शांत मन से जीए,वही धन का सुख पाए।


  130. धन वो ताल है जो भरे,पर अतल भी हो जाए।जो किनारे पर चल सके,वही सुख का रंग सजाए।


  131. संपत्ति वो गीत है जो गूंजे,पर हर कान न सुन पाए।जो अपने सुर में ढल सके,वही धन का सुख लाए।


  132. धन-संपत्ति वो प्यास है,जो बुझाए तो और बढ़े।जो संतोष से जीना सीखे,वही सच्चा सुख ले।


  133. संपत्ति की राह पर धुंध छाए,हर कदम पर अंधेरा हो।जो अपने दीए से चले,वही धन का मोल लो।


  134. धन वो फूल है जो महके,पर कांटों में छुपा हो।जो सावधानी से ले आए,वही सुख का रंग सजाए।


  135. संपत्ति वो साया है जो चले,पर धूप में गायब हो।जो अपने बल से जीए,वही सच्ची दौलत लो।


  136. धन-संपत्ति वो रास्ता है,जो लंबा हो पर खत्म न हो।जो मंजिल को भूल सके,वही सुख का मोल पाए।


  137. संपत्ति की चमक चांदनी हो,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही धन का सुख लाए।


  138. धन वो बीज है जो फल दे,पर मिट्टी न हो तो मरे।जो खेत को संवार सके,वही सुख का रंग भरे।


  139. संपत्ति वो तिजोरी है जो भरे,पर मन को खाली करे।जो दिल को संभाल सके,वही सच्ची दौलत ले।


  140. धन-संपत्ति वो हवा है,जो चले पर ठहर न पाए।जो स्थिर मन से जीए,वही सुख का मोल लाए।


  141. संपत्ति की लहरें शोर मचाएं,पर शांति न ला सकें।जो मौन से जीना सीखे,वही धन का सुख पाएं।


  142. धन वो सपना है जो सजाए,पर सुबह टूट भी जाए।जो सच में जीना सीखे,वही सच्ची दौलत लाए।


  143. संपत्ति वो चादर है जो ढके,पर ठंड न रोक पाए।जो मन को गर्म रखे,वही सुख का मोल लाए।


  144. धन-संपत्ति वो खिलौना है,जो लुभाए पर टूट भी जाए।जो इसे खेल समझ ले,वही जिंदगी सजाए।


  145. संपत्ति की राह पर रेत हो,हर कदम फिसलन लाए।जो स्थिरता चुन ले मन में,वही सच्चा सुख पाए।


  146. धन वो तारा है जो चमके,पर पास न आ सके।जो पास का मोल समझे,वही सुख का रंग भरे।


  147. संपत्ति वो फल है जो पके,पर गिरने का डर रहे।जो समय से तोड़ ले आए,वही धन का सुख लाए।


  148. धन-संपत्ति वो माया है,जो पास आए दूर जाए।जो सच को थाम कर चले,वही सुख का मोल लाए।


  149. संपत्ति की ताकत बादल सी,गरजे पर बरसे न कभी।जो इंतजार न करे उसका,वही सच्चा सुख धरे।


  150. धन वो पंछी है जो गाए,पर पकड़ो तो उड़ जाए।जो इसे आजाद छोड़ दे,वही सुख का मोल पाए।


  151. संपत्ति वो दीया है जो रोशन करे,पर तेल न हो तो बुझ जाए।जो इसे जलाए रख सके,वही सुख का मोल पाए।


  152. धन की चमक सूरज सी हो,चमके पर ढल भी जाए।जो रात का मोल समझे,वही सच्ची दौलत लाए।


  153. संपत्ति वो सेतु है जो बांधे,पर टूटने का डर रहे।जो मजबूत नींव बनाए,वही धन का सुख पाए।


  154. धन-संपत्ति वो सपना है,जो नींद सजाए, सच मिटाए।जो जागकर जीना सीखे,वही सच्ची दौलत लाए।


  155. संपत्ति की राह पर कोहरा हो,हर कदम पर धुंध छाए।जो रोशनी साथ ले चले,वही सुख का मोल पाए।


  156. धन वो चंदन है जो ठंडक दे,पर आग से जल भी जाए।जो इसे संभाल कर रखे,वही सुख का रंग लाए।


  157. संपत्ति की लालसा सागर हो,जो डूबने को तैयार करे।जो किनारे पर चल सके,वही सच्चा सुख धरे।


  158. धन-संपत्ति वो रथ है,जो दौड़े पर रुक न सके।जो लगाम को थाम सके,वही मंजिल तक ले।


  159. संपत्ति वो फूल है जो खिले,पर मुरझाने का डर रहे।जो खुशबू को संभाल ले,वही धन का सुख भरे।


  160. धन की ताकत शेर सी हो,दहाड़े पर काबू न आए।जो इसे पालतू बनाए,वही सुख का मोल पाए।


  161. संपत्ति वो पंख है जो उड़ाए,पर हवा से गिर भी जाए।जो संतुलन बनाए रखे,वही सच्ची दौलत लाए।


  162. धन-संपत्ति वो माला है,जो सजे पर बोझ बने।जो इसे हल्का पहन सके,वही सुख का मोल ले।


  163. संपत्ति की चमक मृगतृष्णा हो,पास जाओ तो गायब हो।जो सच को थाम कर चले,वही धन का सुख लो।


  164. धन वो नदी है जो उफनाए,पर किनारा न दिखाए।जो तैरना सीख ले जाए,वही सुख का मोल पाए।


  165. संपत्ति की राहें टेढ़ी हों,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।


  166. धन-संपत्ति वो आलम है,जो चमके पर ढल भी जाए।जो हर मौसम समझ सके,वही सच्चा सुख पाए।


  167. संपत्ति वो सिक्का है जो खनके,पर हर जगह न चले।जो दिल से दिल जोड़े,वही सच्ची दौलत ले।


  168. धन की चादर मुलायम लगे,पर नींद न ला सके।जो मन को शांत रखे,वही सुख को गले लगे।


  169. संपत्ति वो बारिश है जो भिगोए,पर प्यास न बुझाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का रंग सजाए।


  170. धन-संपत्ति वो पहेली है,जो सुलझे तो उलझन लाए।जो इसे छोड़ कर चले,वही सुख का मोल पाए।


  171. संपत्ति की ताकत बादल सी,गरजे पर बरसे न कभी।जो इंतजार न करे उसका,वही सच्चा सुख धरे।


  172. धन वो फल है जो लुभाए,पर कच्चा हो तो न भाए।जो पकने का इंतजार करे,वही सुख का स्वाद लाए।


  173. संपत्ति की राह पर कांटे हों,हर कदम पर चुभन दे।जो हौसले से चल सके,वही धन का सुख ले।


  174. धन-संपत्ति वो चांद है,जो चमके पर ठंडक न दे।जो सूरज का मोल समझे,वही सच्ची दौलत ले।


  175. संपत्ति वो पंछी है जो उड़े,पर पिंजरे में फंसे भी।जो इसे आजाद कर दे,वही सुख का मोल ले।


  176. धन की चमक रंगीन लगे,पर फीकी पड़ भी जाए।जो मन का रंग न खोए,वही सच्चा सुख पाए।


  177. संपत्ति वो दीवार है जो खड़ी हो,पर ढहने का डर रहे।जो नींव को मजबूत करे,वही धन का सुख भरे।


  178. धन-संपत्ति वो माया है,जो पास आए दूर जाए।जो सच को साथ रखे,वही सुख का मोल लाए।


  179. संपत्ति की लालसा आंधी हो,जो सब उड़ा ले जाए।जो शांत मन से जीए,वही धन का सुख पाए।


  180. धन वो ताल है जो भरे,पर अतल भी हो जाए।जो किनारे पर चल सके,वही सुख का रंग सजाए।


  181. संपत्ति वो गीत है जो गूंजे,पर हर कान न सुन पाए।जो अपने सुर में ढल सके,वही धन का सुख लाए।


  182. धन-संपत्ति वो प्यास है,जो बुझाए तो और बढ़े।जो संतोष से जीना सीखे,वही सच्चा सुख ले।


  183. संपत्ति की राह पर धुंध छाए,हर कदम पर अंधेरा हो।जो अपने दीए से चले,वही धन का मोल लो।


  184. धन वो फूल है जो महके,पर कांटों में छुपा हो।जो सावधानी से ले आए,वही सुख का रंग सजाए।


  185. संपत्ति वो साया है जो चले,पर धूप में गायब हो।जो अपने बल से जीए,वही सच्ची दौलत लो।


  186. धन-संपत्ति वो रास्ता है,जो लंबा हो पर खत्म न हो।जो मंजिल को भूल सके,वही सुख का मोल पाए।


  187. संपत्ति की चमक चांदनी हो,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही धन का सुख लाए।


  188. धन वो बीज है जो फल दे,पर मिट्टी न हो तो मरे।जो खेत को संवार सके,वही सुख का रंग भरे।


  189. संपत्ति वो तिजोरी है जो भरे,पर मन को खाली करे।जो दिल को संभाल सके,वही सच्ची दौलत ले।


  190. धन-संपत्ति वो हवा है,जो चले पर ठहर न पाए।जो स्थिर मन से जीए,वही सुख का मोल लाए।


  191. संपत्ति की लहरें शोर मचाएं,पर शांति न ला सकें।जो मौन से जीना सीखे,वही धन का सुख पाएं।


  192. धन वो सपना है जो सजाए,पर सुबह टूट भी जाए।जो सच में जीना सीखे,वही सच्ची दौलत लाए।


  193. संपत्ति वो चादर है जो ढके,पर ठंड न रोक पाए।जो मन को गर्म रखे,वही सुख का मोल लाए।


  194. धन-संपत्ति वो खिलौना है,जो लुभाए पर टूट भी जाए।जो इसे खेल समझ ले,वही जिंदगी सजाए।


  195. संपत्ति की राह पर रेत हो,हर कदम फिसलन लाए।जो स्थिरता चुन ले मन में,वही सच्चा सुख पाए।


  196. धन वो तारा है जो चमके,पर पास न आ सके।जो पास का मोल समझे,वही सुख का रंग भरे।


  197. संपत्ति वो फल है जो पके,पर गिरने का डर रहे।जो समय से तोड़ ले आए,वही धन का सुख लाए।


  198. धन-संपत्ति वो माया है,जो पास आए दूर जाए।जो सच को थाम कर चले,वही सुख का मोल लाए।


  199. संपत्ति की ताकत बादल सी,गरजे पर बरसे न कभी।जो इंतजार न करे उसका,वही सच्चा सुख धरे।


  200. धन वो पंछी है जो गाए,पर पकड़ो तो उड़ जाए।जो इसे आजाद छोड़ दे,वही सुख का मोल पाए।


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