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धन की बचत वो बीज है,जो आज बोया जाए।धैर्य से सींचो इसे,कल सुख का फल लाए।
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बचत वो नींव है जो मजबूत,हर तूफान को झेल सके।जो संयम से चल सके,वही धन का ढेर पाए।
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धन की बचत पानी सा,संभालो तो काम आए।बेकाबू हो तो बह जाए,सुख का रास्ता छूट जाए।
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बचत वो दीया है जो जले,तेल कम हो तो बुझ न जाए।जो संतुलन बनाए रखे,वही धन का मोल पाए।
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धन की बचत सपना सजाए,फिजूलखर्ची सच मिटाए।जो हिसाब से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।
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बचत वो पंख है जो उड़ाए,ज्यादा ऊंचा न ले जाए।जो जमीन पर पैर रखे,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत चांद सा,चमके पर ढल भी जाए।जो हर पल को संभाल ले,वही सुख का रंग लाए।
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बचत वो तिजोरी है जो भरे,खर्च बेकाबू तो खाली हो।जो संयम से रख सके,वही धन का मोल लो।
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धन की बचत नदी सा,दिशा सही तो किनारा दे।जो बहाव को रोक सके,वही सुख का ढेर सजाए।
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बचत वो शतरंज है,हर चाल सोचकर चलनी पड़े।जो दूर की सोच रखे,वही धन का मोल ले।
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धन की बचत फूल सा खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही सुख का रंग सजाए।
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बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का रास्ता पाए।
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धन की बचत बारिश सा,बूंदें संभालो तो फल दे।जो बेकार न बहने दे,वही धन का ढेर ले।
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बचत वो चाबी है जो खोले,सुख का सही रास्ता दिखाए।जो सही ताला चुन सके,वही धन का मोल पाए।
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धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।
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धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।
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बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही धन का मोल लाए।
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धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।
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बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।
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धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।
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बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।
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धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।
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बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।
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धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।
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बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।
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धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।
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बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।
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धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।
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बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।
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धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।
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बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।
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धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।
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बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।
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धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।
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बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।
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धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।
-
बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।
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धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।
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बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।
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धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।
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बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।
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धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।
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बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।
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धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।
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बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।
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धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।
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बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।
-
धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।
-
बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।
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धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।
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बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।
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धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।
-
बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।
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धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।
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बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।
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धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।
-
बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।
-
धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।
-
बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।
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बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।
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धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।
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बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।
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धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।
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बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।
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धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।
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बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।
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धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।
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बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।
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धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।
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बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।
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धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।
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बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।
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धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।
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बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।
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धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।
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बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।
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धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।
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बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।
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धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।
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बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।
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धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।
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बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।
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धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।
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बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।
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धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।
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बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।
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धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।
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बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।
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धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।
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बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।
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धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।
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बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।
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धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।
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बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।
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धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।
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बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।
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धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।
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बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।
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धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।