150+ Best Save money Quotes in Hindi

  1. धन की बचत वो बीज है,जो आज बोया जाए।धैर्य से सींचो इसे,कल सुख का फल लाए।


  2. बचत वो नींव है जो मजबूत,हर तूफान को झेल सके।जो संयम से चल सके,वही धन का ढेर पाए।


  3. धन की बचत पानी सा,संभालो तो काम आए।बेकाबू हो तो बह जाए,सुख का रास्ता छूट जाए।


  4. बचत वो दीया है जो जले,तेल कम हो तो बुझ न जाए।जो संतुलन बनाए रखे,वही धन का मोल पाए।


  5. धन की बचत सपना सजाए,फिजूलखर्ची सच मिटाए।जो हिसाब से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।


  6. बचत वो पंख है जो उड़ाए,ज्यादा ऊंचा न ले जाए।जो जमीन पर पैर रखे,वही धन का ढेर सजाए।


  7. धन की बचत चांद सा,चमके पर ढल भी जाए।जो हर पल को संभाल ले,वही सुख का रंग लाए।


  8. बचत वो तिजोरी है जो भरे,खर्च बेकाबू तो खाली हो।जो संयम से रख सके,वही धन का मोल लो।


  9. धन की बचत नदी सा,दिशा सही तो किनारा दे।जो बहाव को रोक सके,वही सुख का ढेर सजाए।


  10. बचत वो शतरंज है,हर चाल सोचकर चलनी पड़े।जो दूर की सोच रखे,वही धन का मोल ले।


  11. धन की बचत फूल सा खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही सुख का रंग सजाए।


  12. बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का रास्ता पाए।


  13. धन की बचत बारिश सा,बूंदें संभालो तो फल दे।जो बेकार न बहने दे,वही धन का ढेर ले।


  14. बचत वो चाबी है जो खोले,सुख का सही रास्ता दिखाए।जो सही ताला चुन सके,वही धन का मोल पाए।


  15. धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  16. बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।


  17. धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।


  18. बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही धन का मोल लाए।


  19. धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।


  20. बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।


  21. धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।


  22. बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।


  23. धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।


  24. बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।


  25. धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  26. बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  27. धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।


  28. बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।


  29. धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।


  30. बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।


  31. धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।


  32. बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।


  33. धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।


  34. बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  35. धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।


  36. बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।


  37. धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  38. बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।


  39. धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।


  40. बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।


  41. धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।


  42. बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।


  43. धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।


  44. बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।


  45. धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।


  46. बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।


  47. धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  48. बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  49. धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।


  50. बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।


  51. धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।


  52. बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।


  53. धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।


  54. बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।


  55. धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।


  56. बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  57. धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।


  58. बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।


  59. धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  60. बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।


  61. धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।


  62. बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।


  63. धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।


  64. बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।


  65. धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।


  66. बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।


  67. धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।


  68. बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।


  69. धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  70. बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  71. धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।


  72. बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।


  73. धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।


  74. बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।


  75. धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।


  76. बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।


  77. धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।


  78. बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  79. धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।


  80. बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।


  81. धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  82. बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।


  83. धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।


  84. बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।


  85. धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।


  86. बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।


  87. धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।


  88. बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।


  89. धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।


  90. बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।


  91. धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  92. बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  93. धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।


  94. बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।


  95. धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।


  96. बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।


  97. धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।


  98. बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।


  99. धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।


  100. बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  101. धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।


  102. बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।


  103. धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  104. बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।


  105. धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।


  106. बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।


  107. धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।


  108. बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।


  109. धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।


  110. बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।


  111. धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।


  112. बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।


  113. धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  114. बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  115. धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।


  116. बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।


  117. धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।


  118. बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।


  119. धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।


  120. बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।


  121. धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।


  122. बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  123. धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।


  124. बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।


  125. धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  126. बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।


  127. धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।


  128. बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।


  129. धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।


  130. बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।


  131. धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।


  132. बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।


  133. धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।


  134. बचत वो चमक है जो लुभाए,फिजूलखर्ची फीकी करे।जो हिसाब से रंग भरे,वही धन का ढेर सजाए।


  135. धन की बचत नदी सा,उफनाए तो किनारा न दे।जो दिशा को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  136. बचत वो तालाब है जो भरे,फिजूलखर्ची सूखा लाए।जो पानी को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  137. धन की बचत सपना सा,हिसाब से सच बन जाए।जो नींद से जाग सके,वही सुख का मोल कमाए।


  138. बचत वो राह है जो टेढ़ी हो,हर मोड़ पर सवाल उठे।जो जवाब ढूंढ ले आए,वही धन का सुख भरे।


  139. धन की बचत चांदनी सा,रात सजाए, दिन मिटाए।जो हर पल को समझ सके,वही सुख का मोल लाए।


  140. बचत वो बीज है जो बोया जाए,हिसाब से फल लाए।जो धैर्य से सींच सके,वही धन का ढेर पाए।


  141. धन की बचत जोखिम साथी,कभी हंसे, कभी रुलाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का रास्ता पाए।


  142. बचत वो सेतु है जो जोड़े,धन को जरूरत से मिलाए।जो मजबूत नींव बनाए,वही सुख का मोल पाए।


  143. धन की बचत पानी सा,बह जाए तो रोक न पाए।जो बांध बनाकर रख सके,वही सुख का रंग लाए।


  144. बचत वो बारिश है जो बरसे,खेत भिगोए, सूखा भी लाए।जो बूंदों को संभाल ले,वही धन का ढेर सजाए।


  145. धन की बचत चाबी सा,सही ताला न माने इसे।जो सही जगह लगाए,वही सुख का मोल ले।


  146. बचत वो फूल है जो खिले,फिजूलखर्ची कांटा बन जाए।जो सावधानी से ले आए,वही धन का रंग सजाए।


  147. धन की बचत पेड़ सा,जड़ें मजबूत तो फल दे।जो नींव को संभाल सके,वही सुख का मोल ले।


  148. बचत वो साया है जो चले,धूप ढले तो गायब हो।जो अपने बल से चल सके,वही धन का ढेर लो।


  149. धन की बचत तारा सा,चमके पर पास न आए।जो संतुलन से छू ले जाए,वही सुख का ढेर सजाए।


  150. बचत वो सपना है जो सजे,हिसाब से सच बन जाए।जो संयम से आगे बढ़े,वही सुख का मोल लाए।


  151. धन की बचत रथ सा,दौड़े पर भटक न जाए।जो दिशा को थाम सके,वही मंजिल तक ले जाए।


  152. बचत वो फल है जो पके,हिसाब बिना न मिले कभी।जो संयम से सींच सके,वही मिठास का स्वाद ले।


  153. धन की बचत पहेली सा,सुलझे तो उलझन लाए।जो धैर्य से इसे खोले,वही सुख का मोल पाए।


  154. बचत वो पंछी है जो उड़े,पकड़ में न आए कभी।जो संतुलन से पास बुलाए,वही धन का रंग सजाए।


  155. धन की बचत जोखिम साया,कभी पास, कभी दूर जाए।जो संयम से गले लगाए,वही सुख का मोल पाए।


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